My elder brother got married last year in the month of January. At that time I made a website for them ( -sorry for the website name my purchased dns expired :P). My father recalled a beautiful poem and asked to add it to the site. I do not remember how it skipped my mind, but I forgot to do so. … Today suddenly I realized it, searched my mail for half an hour and volla found it. Now I remember why I didn’t add to website at that time. Reason - it was in Hindi and I didn’t knew how to write in any language other than English on web :P . Now I do. So without further adieu, here is the poem for bhaiya and bhabhi :



आख़िर हम सब की खोज पूरी हुई |

खुशी के इन लम्हों में किसी शायर की लिखी हुई कुछ पंक्तियाँ याद आ रही है :


" रिश्तों का रूप बदलता है,
बुनियादें ख़त्म नहीं होती |

ख्वाबों की ओर उमंगों की
मियादें ख़त्म नहीं होती |

इक फूल में तेरा रूप बसा
इक फूल में मेरी जवानी है |

इक चेहरा तेरी निशानी है
इक चेहरा मेरी निशानी है |

तुझको - मुझको जीवन अमृत
अब इन हाथों से पीना है |

इनकी धड़कन में बसना है
इनकी साँसों में पीना है |

तू अपनी अदायें बक्शइन्हें
मैं अपनी वफ़ायें देता हूँ |

जो अपने लिए सोची थी कभी
वो सारी दुआएँ देता हूँ |"

- राजीव अग्रवाल
(Recollected from a famous one)